करवा चौथ व्रत कथा 2 (Karwa Chauth Vrat Katha)

करवा चौथ व्रत कथा: देवी करवा और यमराज की कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

देवी करवा और यमराज की कथा:

वेद-पुराणों के अनुसार, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास के गांव में रहती थी। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान कर थे, तभी एक मगरमच्छ ने उनका पाँव पकड़ लिया और उनको नदी में खींचने लगा। मृत्यु को निकट देख कर करवा के पति करवा – करवा पुकारने लगे। पति की पुकार सुनकर करवा वहां पहुंची, उसने देखा की मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचने ही वाला था।

करवा ने तुरंत एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ हिल भी नहीं पा रहा था।

करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फँसे हुए थे। करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान और मगरमच्छ को मृत्युंदड देने कहा। यमराज ने कहा की मैं ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है और मगरमच्छ की आयु अभी शेष है।

क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो मैं तुमको श्रॉप दे दूँगी। पतिव्रता करवा के श्रॉप से भयभीत यमराज ने मगरमछ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति की जीवनदान दे दिया।

तभी से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का चलन शुरू हो गया। इस दिन करवाचौथ के व्रत से सुहागिन स्त्रियां करवा माता से कहती है कि जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुँह से वापस बुला लिया ऐसे ही हमारे पति की भी रक्षा करना।


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