करवा चौथ व्रत कथा 1(Karwa Chauth Vrat Katha 1)

करवा चौथ व्रत कथा(Karwa Chauth Vrat Katha): साहूकार के 7 पुत्र व एक पुत्री (वीरावती) की कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

करवा चौथ भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक हिंदू उपवास अनुष्ठान है। यह एक दिन भर चलने वाला व्रत है जिसे महिलाएं अपने पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती हैं। शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है। व्रत के साथ-साथ करवा चौथ व्रत कथा व करवा चौथ आरती पढ़ने या सुनने की भी लोकप्रिय परंपरा है।

साहूकार के 7 पुत्र व एक पुत्री (वीरावती) की कथा:

ॐ श्री गणेशाय नमः !
एक समय की बात है, एक गाँव में एक साहूकार रहता था। उसके 7 पुत्र व एक पुत्री वीरावती थी। सभी भाई अपनी बहन से बहुत स्नेह करते थे। शादी के बाद वीरावती अपने घर आई हुई थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी, बेटी, व बहुओ ने करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ का व्रत शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही खोला जाता है। वीरावती ने भी पूरे दिन उपवास रखा और चंद्रमा के आगमन का बेसब्री से इंतजार किया ताकि वह अपना व्रत खोल सके और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना कर सके।

जैसे-जैसे दिन बीतता गया, वीरावती भूख-प्यास के कारण मूर्छित होकर जमीन पर गिर गई। उसके सात भाई, जो उससे बहुत प्यार करते थे, उनको उसकी ऐसी हालत देख कर बहुत दुःख हुआ। उन्होंने उसकी मदद के लिए एक योजना बनाई, उन्होंने एक पीपल के पेड़ के पीछे एक दर्पण स्थापित किया और उसके सामने एक दीपक रखा। साहूकार की बेटी को यह नहीं पता था कि यह दर्पण में दीपक का प्रतिबिंब मात्र है, उसने उसे चंद्रमा समझ लिया और अपना व्रत तोड़ दिया।

जैसे ही साहूकार की बेटी ने भोजन का पहला निवाला खाया, उसे खबर मिली कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार है,और मृत्यु के कगार पर है। वह अपने पति के घर वापस चली गई। ससुराल में उसने देखा की उसका पति मारा पड़ा है, संयोग से वहां इन्द्राणी आई। उन्हें देख कर विलाप करते हुए वीरावती बोली की हे माँ ! ये किस अपराध का फल मुझे मिला। वह माँ से प्रार्थना करते हुई बोली कि आप मेरे पति को जिन्दा कर दो। इन्द्राणी ने कहा कि तुमने करवाचौथ का व्रत बिना चन्द्रोदय, चन्द्रमा को अर्ध्य दे दिया था, ये सब उसी के फल से हुआ है। अतः अब तुम बारह माह के चौथ के व्रत व करवाचौथ व्रत को श्रद्धा और भक्ति से विधिपूर्वक करो, तब तुम्हारा पति पुनः जीवित हो उठेगा।

इन्द्राणी के वचन सुन वीरावती ने विधि-पूर्वक बारह माह के चौथ और करवाचौथ व्रत को बड़ी ही भक्ति-भाव से किया। जिनके प्रभाव से वीरावती का पति देवता सहज जीवित हो उठा। उसी दिन से करवा चौथ मनाई जाती है और व्रत रखा जाता हैं।

हे माता ! “जैसे आपने वीरावती के पति की रक्षा की वैसे ही सबके पतियों की रक्षा करना। “


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